गोस्वामी तुलसीदास रचित विनय-पत्रिका के पदों को संजोने हेतु एक प्रयास !
Saturday, January 7, 2012
राम ! रावरो नाम मेरो मातु-पितु है .. + राम!रावरो नाम साधु-सुरतरु है ..
राम ! रावरो नाम मेरो मातु-पितु है ।
सुजन-सनेही, गुरु साहिब, सखा-सुह्रद,
राम नाम प्रेम पन अबिचल बितु है ॥ १
सतकोटि चरित अपार दधिनिधि मथि
लियो काढ़ि वामदेव नाम-घृतु है ।
नामको भरोसो-बल चारिहू फलको फल,
सुमिरिये छाड़ि छल, भलो कृतु है ॥ २
स्वारत-साधक, परमारथ-दायक नाम,
राम-नाम सारिखो न और हितु है ।
तुलसी सुभाव कही, साँचिये परैगी सही,
सीतानाथ-नाम नित चितहुको चितु है ॥ ३
Ashish Pandey: राम!रावरो नाम साधु-सुरतरु है ।
राम!रावरो नाम साधु-सुरतरु है ।
सुमिरे त्रिबिध घाम हरत, पूरत काम,
सकल सुकृत सरसिजको सरु है ॥ १
लाभहू को लाभ, सुखहूको सुख, सरबस,
पतित-पावन, डरहूको डरु है ।
नीचेहूको ऊँचेहूको, रंकहूको रावहूको
सुलभ, सुखद, आपनो-सो घरु है ॥ २
बेद हू, पुरान हू पुरारि हू पुकारि कह्यो,
नाम-प्रेम चारिफलहूको फरु है ।
ऐसे राम-नाम सों न प्रीति, न प्रतीति मन,
मेरे जान, जानिबो सोई नर खरु है ॥ ३
नाम-सो न मातु-पितु, मीत-हित, बंधु-गुरु,
साहिब सुधी सुसील सुधाकरु है ।
नामसोँ निबाह नेह, दीनको दयालु ! देहु,
दासतुलसीको, बलि, बड़ो बरु है ॥ ४
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