गोस्वामी तुलसीदास रचित विनय-पत्रिका के पदों को संजोने हेतु एक प्रयास !
Thursday, January 19, 2012
रघुपति-भगति करत कठिनाई ..
January 17, 2012
रघुपति-भगति करत कठिनाई ।
कहत सुगम करनी अपार जानै सोइ जेहि बनि आई॥ १
जो जेहि कला कुसल ताकहँ सोइ सुलभ सदा सुखकारी ।
सफरी सनमुख जल-प्रवाह सुरसरी बहै गज भारी ॥ २
ज्योँ सर्करा मिलै सिकता महँ, बलतेँ न कोउ बिलगावै ।
अति रसग्य सूच्छम पिपीलिका, बिनु प्रयास ही पावै ॥ ३
सकल दृश्य निज उदर मेलि, सोवै निद्रा तजि जोगी ।
सोइ हरिपद अनुभवै परम सुख, अतिसय द्वैत-बियोगी ॥ ४
सोक मोह भय हरष दिवस-निसि देस-काल तहँ नाहीँ ।
तुलसिदास यहि दसाहीन संसय निरमूल न जाहीँ ॥ ५
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