प्रिय रामनामतेँ जाहि न रामो ..
January14,2012
प्रिय रामनामतेँ जाहि न रामो ।
ताको भलो कठिन कलिकालहुँ आदि-मध्य-परिनामो ॥ १
सकुचत समुझि नाम-महिमा मद-लोभ-मोह-कोह-कामो ।
राम-नाम-जप-निरत सुजन पर करत छाँह घोर धामो ॥ २
नाम-प्रभाउ सहि जो कहै कोउ सिला सरोरुह जामो ।
जो सुनि सुमिरि भाग-भाजन भइ सुकृतसील भील भामो ॥ ३
बालमीकि-अजामिलके कछु हुतो न साधन सामो ।
उलटे पलटे नाम-महातम गुंजनि जितो ललामो ॥ ४
रामतेँ अधिक नाम-करतब, जेहि किये नगर-गत गामो ।
भये बजाइ दाहिने जो जपि तुलसिदाससे बामो ॥ ५
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