भयेहूँ उदास राम, मेरे आस रावरी ..
राग सोरठ
भयेहूँ उदास राम, मेरे आस रावरी ।
आरत स्वारथी सब कहैँ बात बावरी ॥ १
जीवन को दानी घन कहा ताहि चाहिये ।
प्रेम-नेमके निबाहे चातक सराहिये ॥ २
मीनतेँ न लाभ-लेस पानी पुन्य पीनको ।
जल बिनु थल कहा मीचु बिनु मीनको ॥ ३
बड़े ही की ओट बलि बाँचि आये छोटे हैँ ।
चलत खरेके संग जहाँ-तहाँ खोटे हैँ ॥ ४
यहि दरबार भलो दाहिनेहु-बामको ।
मोको सुभदायक भरोसो राम-नामको ॥ ५
कहत नसानी ह्वैहै हिये नाथ नीकी है ।
जानत कृपानिधान तुलसीके जीकी है ॥ ६
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