Saturday, December 3, 2011

रघुपति बिपति-दवन



रघुपति बिपति-दवन ।

परम कृपालु, प्रनत-प्रतिपालक, पतित-पवन ॥ 1


कूर, कुटिल, कुलहीन, दीन, अति मलिन जवन ।

सुमिरत नाम राम पठये सब अपने भवन ॥ 2


गज-पिँगला-अजामिल-से खल गनै धौँ कवन ।

तुलसिदास प्रभु केहि न दीन्हि गति जानकी-रवन ॥ 3



! जय श्री सीताराम !

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