रघुपति बिपति-दवन
रघुपति बिपति-दवन ।
परम कृपालु, प्रनत-प्रतिपालक, पतित-पवन ॥ 1
कूर, कुटिल, कुलहीन, दीन, अति मलिन जवन ।
सुमिरत नाम राम पठये सब अपने भवन ॥ 2
गज-पिँगला-अजामिल-से खल गनै धौँ कवन ।
तुलसिदास प्रभु केहि न दीन्हि गति जानकी-रवन ॥ 3
! जय श्री सीताराम !
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