Saturday, November 26, 2011

* नौमी नारायणं *


दिसम्बर १६, २०१०



नौमी नारायणं नरं करुणानयं, ध्यान-पारायणं, ज्ञान-मूलं |

अखिल संसार-उपकार-कारण, सदयह्रदय, तपनिरत, प्रणतानुकूलं || १



श्याम नव तामरस-दामद्युति वपुष, छवि कोटि मदनार्क अगणित प्रकाशं |

तरुण रमणीय राजीव-लोचन ललित, वदन राकेश, कर-निकर-हासं || २



सकल सौंदर्य-निधि, विपुल गुणधाम, विधि-वेद बुध-शम्भू-सेवित, अमानं |

अरुण पद्कंज-मकरंद मंदाकिनी मधुप-मुनिवृन्द कुर्वन्ति पानं || ३



शक्र-प्रेरित घोर मदन मद-भंगकृत, क्रोधगत, बोधरत, ब्रम्हचारी |

मार्कंडेय मुनिवर्यहित कौतुकी बिनहि कल्पांत प्रभु प्रलयकारी || ४



पुण्य वन शैलसरि बद्रिकाश्रम सदासीन पद्मासनं, एक रूपं |

सिद्ध-योगीन्द्र-वृंदारकानंदप्रद, भद्रदायक दरस अति अनूपं || ५



मान मानभंग, चितभंग मद, क्रोध लोभादि पर्वतदुर्ग, भुवन-भर्ता |

द्वेष-मत्सर-राग प्रबल प्रत्यूह प्रति, भूरि निर्दय, क्रूर कर्म कर्ता || ६



विकटतर वक्र क्षुरधार प्रमदा, तीव्र दर्प कंदर्प खर खडगधारा |

धीर-गंभीर-मन-पीर-कारक, तत्र के वराका वयं विगतसारा || ७



परम दुर्घट पथं खल-असंगत साथ, नाथ! नहीं हाथ वर विरति-यष्टि |

दर्शानारत दास, त्रसित माया-पाश, त्राहि हरी, त्राहि हरी, दास कष्टी || ८



दासतुलसी दीन धर्म-संबलहीन, श्रमित अति, खेद, मति मोह नाशी |

देहि अवलंब न विलंब अम्भोज-कर, चक्रधर-तेजबल शर्मराशि || ९

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