गोस्वामी तुलसीदास रचित विनय-पत्रिका के पदों को संजोने हेतु एक प्रयास !
Saturday, November 26, 2011
* नौमी नारायणं *
दिसम्बर १६, २०१०
नौमी नारायणं नरं करुणानयं, ध्यान-पारायणं, ज्ञान-मूलं |
अखिल संसार-उपकार-कारण, सदयह्रदय, तपनिरत, प्रणतानुकूलं || १
श्याम नव तामरस-दामद्युति वपुष, छवि कोटि मदनार्क अगणित प्रकाशं |
तरुण रमणीय राजीव-लोचन ललित, वदन राकेश, कर-निकर-हासं || २
सकल सौंदर्य-निधि, विपुल गुणधाम, विधि-वेद बुध-शम्भू-सेवित, अमानं |
अरुण पद्कंज-मकरंद मंदाकिनी मधुप-मुनिवृन्द कुर्वन्ति पानं || ३
शक्र-प्रेरित घोर मदन मद-भंगकृत, क्रोधगत, बोधरत, ब्रम्हचारी |
मार्कंडेय मुनिवर्यहित कौतुकी बिनहि कल्पांत प्रभु प्रलयकारी || ४
पुण्य वन शैलसरि बद्रिकाश्रम सदासीन पद्मासनं, एक रूपं |
सिद्ध-योगीन्द्र-वृंदारकानंदप्रद, भद्रदायक दरस अति अनूपं || ५
मान मानभंग, चितभंग मद, क्रोध लोभादि पर्वतदुर्ग, भुवन-भर्ता |
द्वेष-मत्सर-राग प्रबल प्रत्यूह प्रति, भूरि निर्दय, क्रूर कर्म कर्ता || ६
विकटतर वक्र क्षुरधार प्रमदा, तीव्र दर्प कंदर्प खर खडगधारा |
धीर-गंभीर-मन-पीर-कारक, तत्र के वराका वयं विगतसारा || ७
परम दुर्घट पथं खल-असंगत साथ, नाथ! नहीं हाथ वर विरति-यष्टि |
दर्शानारत दास, त्रसित माया-पाश, त्राहि हरी, त्राहि हरी, दास कष्टी || ८
दासतुलसी दीन धर्म-संबलहीन, श्रमित अति, खेद, मति मोह नाशी |
देहि अवलंब न विलंब अम्भोज-कर, चक्रधर-तेजबल शर्मराशि || ९
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Nice
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