Monday, November 21, 2011

प्रिय रामनामतें जाहि न रामो - 'विनय-पत्रिका' (गोस्वामी तुलसीदास) by Chandrasekhar Nair on Wednesday, 16 March 2011 at 12:46



प्रिय रामनामतें जाहि न रामो | ताको भलो कठिन कलिकालहु आदि-मध्य-परिनामो || १



सकुचत समुझि नाम-महिमा मद-लोभ-मोह-कोह-कामो | राम-नाम-जप-निरत सुजन पर करत छांह घोर धामों || २



नाम-प्रभु सही जो कहै कोऊ सिला सरोरूह जामो | जो सुनि सुमिरि भाग-भाजन भयि सुकृतसील भील-भामो || ३



बाल्मीकि-अजामिल के कछु हुतो न साधन सामो | उलटे पलटे नाम-महातम गुंजनी जितो लालामो || ४



रामते अधिक नाम-करतब, जेहि किये नगर-गत गामो | भये बजाई दाहिने जो जपि तुलसीदास.से बामों || ५

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